खाली खाली घर था एकदम भर गया,
उदास रहता था जो लड़का वो कल रात मर गया…!
हमारी ख़ामोशी ने हमे खामोश कर दिया,
वरना दर्द इतना लिखते ज़माना रोता…!
फिर नहीं बसते वह दिल जो एक बार टूट जाते हैं,
कब्र को कितना भी सजा लो लोग जिंदा नहीं होते…!
अब टूट गया दिल तो बवाल क्या करें,
खुद ही किया था पसंद तो सवाल क्या करें…!
अजीब कश्मकश थी जान किसको दें,
वो भी आ बैठे थे और मौत भी…!
भरोसा टूटने की आवाज नहीं होती,
पर गूंज उम्र भर सुनाई देती है…!
अब तो खुशी भी मिलती है तो डर लगता है,
पता नहीं इस खुशी की क्या कीमत चुकानी पड़ेगी…!
अजीब मुकाम से गुजरा है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूंढने चले थे नींद भी गवा बैठे…!
कुछ बदल जाते हैं कुछ मजबूर हो जाते हैं,
बस यूं ही लोग एक दूसरे से दूर हो जाते हैं…!
हर कोई सो जाता है अपने कल के लिए,
मगर यह नहीं सोचता आज जिसका दिल दुखाया वह सोया होगा या नहीं…!
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